इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि महज भाषण से प्रथम दृष्टया यह साबित नहीं होता है कि सार्वजनिक सद्भाव या विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया जा सकता है। साथ ही यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारी को धमकी मामले में अधिकतम दो साल की सजा देने के लिए ट्रायल कोर्ट ने ठोस कारण दर्ज नहीं किए। कोर्ट ने इन तथ्यों के आधार पर माना कि दोषसिद्धि से अब्बास अंसारी को अपरिवर्तनीय नुकसान हुआ है। साथ ही मतदाताओं के अधिकार भी प्रभावित हुआ है जिन्होंने उसे अपने प्रतिनिधित्व के लिए चुना है। इन टिप्पणियों के साथ ही कोर्ट ने दोषसिद्धि और सजा अपील के निस्तारण तक निलंबित कर दिया।
मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अब्बास अंसारी की विधायकी बहाल हो सकती है। उत्तर प्रदेश की की मऊ सदर सीट पर अब उपचुनाव नहीं होगा। हेट स्पीच मामले में एमपी एमएलए कोर्ट मऊ के फैसले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। हेट स्पीच मामले में एमपी एमएलए कोर्ट मऊ की ओर से सुनाई गई दो साल की सजा पर रोक की मांग करते हुए दाखिल क्रिमिनल रिवीजन को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस फैसले के चलते अब्बास अंसारी की विधायकी अब बहाल हो सकती है।
तीन मार्च 2022 को दर्ज हुआ मुकदमा
नफरती भाषण और चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में अभियोजन के अनुसार एसआई गंगाराम बिंद की तहरीर पर शहर कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई। इसमें सदर विधायक अब्बास अंसारी और अन्य को आरोपी बनाया गया।
आरोप था कि तीन मार्च 22 को विधानसभा चुनाव के दौरान सदर विधानसभा सीट से सुभासपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे अब्बास अंसारी ने नगर क्षेत्र के पहाड़पुर मैदान में जनसभा के दौरान कहा कि जनपद मऊ के प्रशासन को चुनाव के बाद रोक कर हिसाब किताब करने व इसके बाद सबक सिखाने की धमकी मंच से दी गई थी।