“ईरान में TV प्रसारण हैक कर भड़काने की साजिश” इस्राइल में नेताओं को मिलीं धमकियां

दिल्ली। इस्राइल और ईरान के बीच सीधा संघर्ष शुरू हुए अब एक हफ्ता हो चुका है। दोनों ही देशों ने लगातार सातवें दिन एक-दूसरे पर हमले जारी रखे। जहां इस्राइल ने गुरुवार सुबह ईरान के अरक परमाणु ठिकाने को निशाना बनाने की बात कही तो वहीं ईरान ने सीधे इस्राइल के प्रमुख शहरों को निशाना बनाया और उसकी स्टॉक एक्सचेंज की इमारत को नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा बीरशेबा में एक अस्पताल के भी तबाह होने की खबरें आई हैं। दोनों ही पक्षों की तरफ से इस संघर्ष को रोकने से जुड़ी कोशिशें नजर नहीं आतीं, उल्टा संघर्ष के मैदान से दूर दोनों पक्षों के बीच एक और नई जंग उभर चुकी है। यह है मनोवैज्ञानिक युद्ध, जो कि दोनों ही देश एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं। 
ऐसे में यह जानना अहम है कि इस्राइल और ईरान आखिर किस तरह एक-दूसरे पर सीधे मैदान पर हमले करने के साथ-साथ दूसरे तरीकों से भी एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में जुटे हैं? दोनों देशों ने किस तरह अपने साई-ऑप्स (Psy-Ops) यानी मनोवैज्ञानिक युद्ध को अंजाम दे रहे हैं? इसमें कौन-कितना आगे है और क्या हासिल हो सकता है? आइये जानते हैं…


ईरान में कैसे सूचनाओं की जंग लड़ रहा इस्राइल?
ईरान में बुधवार को टेलीविजन पर चैनलों के प्रसारण के दौरान अचानक ब्रॉडकास्ट से छेड़छाड़ हुई। इसके बाद लोगों को टीवी पर ऐसी सामग्री दिखने लगी, जिसके जरिए लोगों को सुप्रीम लीडर के शासन के खिलाफ आंदोलन के लिए भड़काने की कोशिश की गई। रिपोर्ट्स की मानें तो ईरानी चैनलों पर 2022 के महिला आंदोलनों से जुड़े कुछ पुराने वीडियोज प्रसारित किए गए, जिनमें लोगों को ईरानी शासन के सख्त नियमों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते देखा जा सकता है। यह प्रदर्शन तब ईरान में अपना सिर न ढकने की वजह से ‘नैतिकता पुलिस’ की हिंसा का शिकार हुई म्हासा अमीनी के निधन के बाद शुरू हुए थे। ईरान के हमशहरी अखबार ने अपने टेलीग्राम चैनल पर टीवी ब्रॉडकास्ट के दौरान हैकिंग के जरिए आंदोलन के वीडियो दिखाने की घटना से जुड़ा एक वीडियो भी साझा किया। इसमें कहा गया कि हैकरों ने ईरान के सरकारी टीवी और दूरसंचार को हैक कर लिया और लोगों से आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरने को कहा। इस हैकिंग के बाद जब ईरानी टेलीविजन चैनलों के नियंत्रण वापस हासिल किए गए तब दर्शकों को एक संदेश प्रसारित किया गया- “यहूदी दुश्मनों (इस्राइल) की तरफ से किए साइबर हमलों की वजह से सैटेलाइट ट्रांसमिशन में दिक्कत आई।”

ईरान के इंटरनेट को सैन्य अभियान के लिए इस्तेमाल कर रहा इस्राइल
इस बीच ईरान ने इस्राइल पर मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ने का आरोप लगाते हुए आम लोगों को मिलने वाले इंटरनेट को सैन्य अभियानों के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। ईरान ने देश में आम लोगों के इंटरनेट इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगाई हैं। ब्रिटेन आधारित ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखने वाले समूह नेटब्लॉक्स के मुताबिक, ईरानी सरकार ने लगभग पूरे देश में इंटरनेट ब्लैकआउट लागू किया है। ईरान का आरोप है कि इस्राइल ने इंटरनेट को हथियार बनाना शुरू कर दिया है और ईरानी लोगों के वेब से कनेक्ट होने वाले मोबाइलों और उपकरणों के जरिए गुप्त सूचनाएं जुटानी जारी रखी हैं। ईरान ने मेटा के व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को भी ब्लॉक किया है। साथ ही गूगल और एपल के एप स्टोर को भी बंद किया गया है। ईरान ने लोगों से अपील की है कि वे व्हाट्सएप का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, क्योंकि इसके जरिए ईरान से जरूरी डाटा इस्राइल को भेजा जा रहा है। हालांकि, व्हाट्सएप ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। इस्राइल से जुड़े इसी हैकर ग्रुप ने बुधवार को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कंपनी- नोबिटेक्स पर भी साइबर हमले करने की बात कही है।  गोंजेशके दरांडे का कहना है कि नोबिटेक्स के जरिए ईरानी शासन पूरी दुनिया में चरमपंथ को फैलाता है। प्रतिबंधों की स्थिति में यह क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज ईरानी शासन का अहम हथियार था। इस हैकर ग्रुप ने दावा किया कि उसने क्रिप्टो एक्सचेंज की करोड़ों डॉलर की राशि को जब्त कर लिया है। 

इस्राइल के खिलाफ कैसे लड़ी जा रही मनोवैज्ञानिक जंग?
इस बीच दावा किया जा रहा है ईरान की तरफ से इस्राइल में राजनीति से जुड़े कई चेहरों को फोन के जरिए धमकी दी जा रही है। इस्राइल के चैनल 12 की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ नेताओं ने शिकायत की है कि उन्हें हीब्रू (इस्राइल की भाषा) में ही फोन पर धमकियां दी गईं, जिनमें कहा गया कि ईरान मिसाइल हमलों से पूरे इस्राइल को ही तबाह कर देगा। जिन लोगों को इससे जुड़े फोन आए, उनमें धार्मिक यहूदी पार्टी के महानिदेशक येहुदा वल्द और येश अतीद की नेता एमके शेली ताल मेरोन के नाम शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन कॉल्स में साफ कहा गया कि फोन ईरान से किया गया है और संघर्ष तब तक नहीं रुकेगा, जब तक इस्राइल पूरी तरह तबाह नहीं हो जाता। 

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